Friday, December 24, 2010

माँ तुझे सलाम MAA TUJHE SALAM

माँ तुझे सलाम :
                      माँ बीमार थी.करीब २५-30 दिनों से अस्पताल में भरती थी.उसका इकलोता बेटा किशोर उसकी जी जान  से सेवा कर रहा था.माँ को कोंन सी बीमारी नहीं थी.उस पर बुढ़ापे में पाव की हड्डी टूट गई.सास   लेने में भी तकलीफ हो रही थी.माँ वेंटिलेटर पर थी.किशोर ने काफी पैसा खर्च कर दिया था.ऊपर से  ये  भागा दौड़ी अलग से घर से अस्पताल, अस्पताल से घर किशोर माँ की सेवा कर कर के अधमरा   सा हो गया.ऊपर से आर्थिक बोझ.कुछ पैसा तो पिताजी छोड़ गए थे,वो माँ के इलाज में काम आ गया.पर अब तो गांठ से पैसालगाना शुरू हो गया.माँ पूरी तरह से ठीक भी हो पायेगी भी की नहीं -इस बात का भी कोई भरोसा नहीं है.किशोर ये सब बाते सोचता जा रहा था.बिटिया भी बड़ी हो गयी है उसका भी ब्याह करना है.लडके को भी इंजीनियरिंग करनी है.अब तक तो  मकान भी बना नहीं सका हूँ !
                      किशोर सोचता जा रहा था माँ कब तक अस्पताल में भरती रहेगी कुछ पता नहीं.उसका तनाव  बढ़ता ही जा रहा था.अचानक मन ही मन उसने एक निर्णय लिया.अब बूढी माँ पर पैसा लगाने का कोई फायदा नहीं.वह अस्पताल में माँ के कमरे में गया.माँ सो रही थी.वेंटिलेटर पर थी.उसने चारोतरफ देखा कोई नहीं था.रात के एक बज रहे थे,उसने माँ का ओक्सिजन मास्क हटा दिया.माँ थोड़ीदेर  तडफडाइ फिर शांत हो गई.किशोरे ने माँ के चरण स्पर्श किये और अस्पताल के कमरे से बाहर आकरपरिवार के सभी सदस्यों को माँ के  इस दुनिया में नहीं रहने की सूचना दी.
                   सड़क पर बाहर कही ए आर रहमान का गाना ऍफ़ एम् रेडियो पर बज रहा था
                                                     -माँ तुझे सलाम ,अम्मा तुझे सलाम !

              

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