Friday, December 3, 2010

ये देश है मेरा

ये देश है मेरा;मित्रो आज फिर अख़बार में पढ़ा.एक युवती स्टोव पर खाना बनाते हुए झुलस गयी.ये कोई नै खबर नहीं है.परन्तु सोचने वाली बात ये हैकी कोई बुजुर्ग महिला या पुरुष स्टोव पर खाना बनाते हुए नहीं झुलसता है.चे हिन्दू महिला हो या अन्य धरम को मानाने वाली महिला हो सभी की समाज में सामान स्तिथि है.सभी के मूल में दहेज़ की मांग है.दहेज़ भारतीयों को अपनी आर्थिक स्तिथि सुधारने के एक आसान तरीका नज़र आता है.हम भारतीय कितना भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ गए हो,परन्तु दहेज़ के मामले में हमारी सोच सदियों पुरानी है .गिरते हुए लिंगानुपत का कारण भी दहेज़ ही है.मजे की   बात ये है की महिलाए हे महिलाओ की दुश्मन नजर आती है.यदि हमारे परिवार में स्वयं लड़का दहेज़ नहीं चाहता है परन्तु उसकी माँ,भाभी या अन्य कोई महिला सदस्य उसे  दहेज़  मांगने हेतु प्रेरित करता है,ये सभी के लिए आत्म मंथन  का विषय है.दोस्तों में  चाहता हूँ की आपसे हलके फुल्के विषयो पर चर्चा करू परन्तु आज की इस खबर ने मुझे विवश कर दिया कल सन्डे है जरूर कोई हलकी  फुलकी चर्चा करेंगे आपका मित्र राजेश भारद्वाज

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