माटी की सोंधी खुशबु
भारत माता ग्राम वासिनी,
खेतो में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आंचल !
मिटटी की प्रतिमा उदासिनी
भारत माता ग्राम वासिनी !!
महानगरो में concrete के घने जंगलो के एक बड़े विस्तार के बावजूद आज भी वास्तविक भारत के दर्शन करने हो तो हमें गाँव की और रुख करना पड़ता है.हमारी चिंता ये है की विदेशी सभ्यता के बढ़ते असर से कही ग्रामीण सभ्यता, पहनावा ,साज श्रृंगार लुप्त न हो जाये.
गाँव का विकास होना चाहिये,वहा सुख सुविधाओ का विस्तार होना चाहिये,पर इस कीमत पर नहीं की हमें हमारी गर्मीं सभ्यता संस्कृति के दर्शन दुर्लभ हो जाये.गाँव में चूल्हे पर सिकती रोटियों की खुशबू कोई फाइव स्टार होटल का शेफ नहीं दे सकता उसका स्वाद लेना है तो आपको गाँव में ही आना होगा.
मक्के दी रोटी और सरसों के साग का असली स्वाद तो आपको गाँव में ही मिलेगा.साथ में लस्सी का ग्लास मिल जाये तो क्या कहने.
सीखो की रंग बिरंगी पगड़िया,राजस्थानी लोगो के साफे [पगड़ी] अचकन बीते कल की बात न हो जाये ये ही हमारी चिंता का विषय होना चाहिये.
चूड़ी और पायल की खनक कही जेंस शर्ट के पहनावे में ग़ुम न हो जाये!
जहाँ पाँव में पायल,हाथो में कंगन !
और माथे पे बिंदिया
इट हप्पेंस ओनली इन इंडिया !!
मै कोई आपको देश भक्ति का पाठ नहीं पढ़ा रहा हूँ .यदि आपने ग्रामीण संस्कृति के सजीव दर्शन नहीं किये हो तो मित्रो मै आपको राजस्थान आने का सादर निमंत्रण देता हूँ.पुष्कर,जैसलमेर,जोधपुर,बीकानेर के गावों में आपको माटी की खुशबु मिलेगी .राजस्थान की यात्रा आप के लिए कभी न भूलने वाला अनुभव रहेगी.
धरती सुनहरी अम्बर नीला !हर मौसम रंगीला ! ऐसा देश है मेरा !
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
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