विचित्र हंसी ;
हाय अंकल!
मैंने तेज आवाज में कहा.
अंकल एक बुजुर्ग व्यक्ति है,जो पार्क में रोज सुबह मोर्निंग वाक करने आते है.मै भी सुबह
सुबह जोगिंग करने पार्क में जाता हूँ.इसी नाते मेरा उनसे परिचय है.हमेशा टेंस रहने वाले आज मुझे
कुछ रेलक्स लग रहे थे.
उनकी एक शादी शुदा लड़की है जो कही बाहर रहती है.परन्तु उनका दामाद उसे बहुत तंग करता
है.उन्होंने बताया यहाँ तक की उससे मार पीट भी करता है.यही उनके तनाव में रहने
का मुख्य कारण था.
परन्तु आज वह कुछ ज्यादा ही रिलेक्स लग रहे थे.
मैंने जोर देकर फिर कहा -अरे अंकल आज आप काफी रेलक्स लग रहे हो !
आज आपको बेटी की फिकर नहीं खाए जा रही है,
उन्होंने विचित्र सा जोरदार ठहाका लगाया और बोले अब मेरी सब टेंशन दूर हो गयी है.
मै आज वास्तव में रिलेक्स हूँ -
अरे वाह अंकल क्यों ! मै उत्सुकता से बोला.
वो भगवान के घर चली गयी है.
उनके रेलक्स दिखने और हसी का राज मेरे समझ आ चुका था.
मै अवाक् सा उन्हें देखता रहा !
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