मीठी वाणी
वाणी ऐसी बोलिए, मन का आपा खोए
ओरण को शीतल करे, आप हूँ शीतल होए.
मित्रो आप सभी को नए साल की शुभकामनाये!साथियों हमारी बोली ऐसी होनी चाहिए की अन्य लोगो को आकर्षित करे.लोग हमसे बात करना चाहे.जिनकी वाणी मीठी होती है लोग उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करना पसंद करते है,परन्तु जिनकी वाणी कर्कश और कठोर होती है न तो उनसे लोग बात करना पसंद करते है और न ही उनके पास जाना.मीठी वाणी एक एसा साधन है जिसके द्वारा आप ज्यादा से ज्यादा लोगो को अपना मित्र बना सकते है.
प्राय आपने अपने आस पास इसे लोगो को देखा होगा जो हमें कुछ भोतिक रूप से नहीं देते है,केवल मीठी वाणी से ही समाज या फ्रेंड्स सर्कल में ज्यादा लोकप्रिय होते है,इसके विपरीत जो लोग हमारा किसी प्रकार से फायदा करते है परन्तु उनकी वाणी मधुर नहीं है इसी कारण लोग उनको कम पसंद करते है.
कटुक वचन सबसे बुरा जार करे तन छार !
मधुर वचन जल रूप है बरसे अमृत धार !
मीठी वाणी को अमृत के सामान बताया गया है.अतः आप आप अपनी मीठी वाणी का अमृत अपने आस पास के लोगो को पिलाइए.आप की लोकप्रियता में जरूर वृद्धि होगी!
Friday, December 31, 2010
Sunday, December 26, 2010
नव वर्ष की शुभकामनाये HAPPY NEW YEAR
नव वर्ष की शुभकामनाये:
सबसे पहले मेरे युवा मित्रो को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये!
हर्ष नव, वर्ष नव, जीवन का उत्कर्ष नव !
आप सभी के लिए नया साल आपकी उम्मीदों को पूरा करने वाला हो,परन्तु लक्ष्यों की पूर्ति के लिए मेरा आपसे निवेदन है की आप भी पूरी क्षमता से प्रयास करेंगे.कोई युवा अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश चाहता कोई डॉक्टर बनने हेतु मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता है.कोई युवा मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहता है.
जिन युवा मित्रो का अध्ययन पूरा हो गया है उन्हें अच्छे संस्थानों में नोकरी चाहिए.जिन को नोकरी मिल गई है,उन्हें अच्छे जीवन साथी की चाह है.
मित्रो मन में दृढ विश्वास रखिये नया साल आपकी उम्मीदों,आशाओ को पूरा करने वाला है.
बस आपको जीवन के हर क्षेत्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ले के चलना है.लक्ष्य की पूर्ति के लिए पूरी क्षमता और पूरी उर्जा/ताकत लगाकर प्रयास करने है.उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है.
जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है,ये जंग आप जरूर जीतोगे ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है!
एक बार फिर से आप सभी को नए वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये! बधाईया! हैप्पी न्यू इयर !
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
सबसे पहले मेरे युवा मित्रो को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये!
हर्ष नव, वर्ष नव, जीवन का उत्कर्ष नव !
आप सभी के लिए नया साल आपकी उम्मीदों को पूरा करने वाला हो,परन्तु लक्ष्यों की पूर्ति के लिए मेरा आपसे निवेदन है की आप भी पूरी क्षमता से प्रयास करेंगे.कोई युवा अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश चाहता कोई डॉक्टर बनने हेतु मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता है.कोई युवा मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहता है.
जिन युवा मित्रो का अध्ययन पूरा हो गया है उन्हें अच्छे संस्थानों में नोकरी चाहिए.जिन को नोकरी मिल गई है,उन्हें अच्छे जीवन साथी की चाह है.
मित्रो मन में दृढ विश्वास रखिये नया साल आपकी उम्मीदों,आशाओ को पूरा करने वाला है.
बस आपको जीवन के हर क्षेत्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ले के चलना है.लक्ष्य की पूर्ति के लिए पूरी क्षमता और पूरी उर्जा/ताकत लगाकर प्रयास करने है.उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है.
जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है,ये जंग आप जरूर जीतोगे ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है!
एक बार फिर से आप सभी को नए वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये! बधाईया! हैप्पी न्यू इयर !
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Friday, December 24, 2010
माँ तुझे सलाम MAA TUJHE SALAM
माँ तुझे सलाम :
माँ बीमार थी.करीब २५-30 दिनों से अस्पताल में भरती थी.उसका इकलोता बेटा किशोर उसकी जी जान से सेवा कर रहा था.माँ को कोंन सी बीमारी नहीं थी.उस पर बुढ़ापे में पाव की हड्डी टूट गई.सास लेने में भी तकलीफ हो रही थी.माँ वेंटिलेटर पर थी.किशोर ने काफी पैसा खर्च कर दिया था.ऊपर से ये भागा दौड़ी अलग से घर से अस्पताल, अस्पताल से घर किशोर माँ की सेवा कर कर के अधमरा सा हो गया.ऊपर से आर्थिक बोझ.कुछ पैसा तो पिताजी छोड़ गए थे,वो माँ के इलाज में काम आ गया.पर अब तो गांठ से पैसालगाना शुरू हो गया.माँ पूरी तरह से ठीक भी हो पायेगी भी की नहीं -इस बात का भी कोई भरोसा नहीं है.किशोर ये सब बाते सोचता जा रहा था.बिटिया भी बड़ी हो गयी है उसका भी ब्याह करना है.लडके को भी इंजीनियरिंग करनी है.अब तक तो मकान भी बना नहीं सका हूँ !
किशोर सोचता जा रहा था माँ कब तक अस्पताल में भरती रहेगी कुछ पता नहीं.उसका तनाव बढ़ता ही जा रहा था.अचानक मन ही मन उसने एक निर्णय लिया.अब बूढी माँ पर पैसा लगाने का कोई फायदा नहीं.वह अस्पताल में माँ के कमरे में गया.माँ सो रही थी.वेंटिलेटर पर थी.उसने चारोतरफ देखा कोई नहीं था.रात के एक बज रहे थे,उसने माँ का ओक्सिजन मास्क हटा दिया.माँ थोड़ीदेर तडफडाइ फिर शांत हो गई.किशोरे ने माँ के चरण स्पर्श किये और अस्पताल के कमरे से बाहर आकरपरिवार के सभी सदस्यों को माँ के इस दुनिया में नहीं रहने की सूचना दी.
सड़क पर बाहर कही ए आर रहमान का गाना ऍफ़ एम् रेडियो पर बज रहा था
-माँ तुझे सलाम ,अम्मा तुझे सलाम !
माँ बीमार थी.करीब २५-30 दिनों से अस्पताल में भरती थी.उसका इकलोता बेटा किशोर उसकी जी जान से सेवा कर रहा था.माँ को कोंन सी बीमारी नहीं थी.उस पर बुढ़ापे में पाव की हड्डी टूट गई.सास लेने में भी तकलीफ हो रही थी.माँ वेंटिलेटर पर थी.किशोर ने काफी पैसा खर्च कर दिया था.ऊपर से ये भागा दौड़ी अलग से घर से अस्पताल, अस्पताल से घर किशोर माँ की सेवा कर कर के अधमरा सा हो गया.ऊपर से आर्थिक बोझ.कुछ पैसा तो पिताजी छोड़ गए थे,वो माँ के इलाज में काम आ गया.पर अब तो गांठ से पैसालगाना शुरू हो गया.माँ पूरी तरह से ठीक भी हो पायेगी भी की नहीं -इस बात का भी कोई भरोसा नहीं है.किशोर ये सब बाते सोचता जा रहा था.बिटिया भी बड़ी हो गयी है उसका भी ब्याह करना है.लडके को भी इंजीनियरिंग करनी है.अब तक तो मकान भी बना नहीं सका हूँ !
किशोर सोचता जा रहा था माँ कब तक अस्पताल में भरती रहेगी कुछ पता नहीं.उसका तनाव बढ़ता ही जा रहा था.अचानक मन ही मन उसने एक निर्णय लिया.अब बूढी माँ पर पैसा लगाने का कोई फायदा नहीं.वह अस्पताल में माँ के कमरे में गया.माँ सो रही थी.वेंटिलेटर पर थी.उसने चारोतरफ देखा कोई नहीं था.रात के एक बज रहे थे,उसने माँ का ओक्सिजन मास्क हटा दिया.माँ थोड़ीदेर तडफडाइ फिर शांत हो गई.किशोरे ने माँ के चरण स्पर्श किये और अस्पताल के कमरे से बाहर आकरपरिवार के सभी सदस्यों को माँ के इस दुनिया में नहीं रहने की सूचना दी.
सड़क पर बाहर कही ए आर रहमान का गाना ऍफ़ एम् रेडियो पर बज रहा था
-माँ तुझे सलाम ,अम्मा तुझे सलाम !
विचित्र हंसी
विचित्र हंसी ;
हाय अंकल!
मैंने तेज आवाज में कहा.
अंकल एक बुजुर्ग व्यक्ति है,जो पार्क में रोज सुबह मोर्निंग वाक करने आते है.मै भी सुबह
सुबह जोगिंग करने पार्क में जाता हूँ.इसी नाते मेरा उनसे परिचय है.हमेशा टेंस रहने वाले आज मुझे
कुछ रेलक्स लग रहे थे.
उनकी एक शादी शुदा लड़की है जो कही बाहर रहती है.परन्तु उनका दामाद उसे बहुत तंग करता
है.उन्होंने बताया यहाँ तक की उससे मार पीट भी करता है.यही उनके तनाव में रहने
का मुख्य कारण था.
परन्तु आज वह कुछ ज्यादा ही रिलेक्स लग रहे थे.
मैंने जोर देकर फिर कहा -अरे अंकल आज आप काफी रेलक्स लग रहे हो !
आज आपको बेटी की फिकर नहीं खाए जा रही है,
उन्होंने विचित्र सा जोरदार ठहाका लगाया और बोले अब मेरी सब टेंशन दूर हो गयी है.
मै आज वास्तव में रिलेक्स हूँ -
अरे वाह अंकल क्यों ! मै उत्सुकता से बोला.
वो भगवान के घर चली गयी है.
उनके रेलक्स दिखने और हसी का राज मेरे समझ आ चुका था.
मै अवाक् सा उन्हें देखता रहा !
हाय अंकल!
मैंने तेज आवाज में कहा.
अंकल एक बुजुर्ग व्यक्ति है,जो पार्क में रोज सुबह मोर्निंग वाक करने आते है.मै भी सुबह
सुबह जोगिंग करने पार्क में जाता हूँ.इसी नाते मेरा उनसे परिचय है.हमेशा टेंस रहने वाले आज मुझे
कुछ रेलक्स लग रहे थे.
उनकी एक शादी शुदा लड़की है जो कही बाहर रहती है.परन्तु उनका दामाद उसे बहुत तंग करता
है.उन्होंने बताया यहाँ तक की उससे मार पीट भी करता है.यही उनके तनाव में रहने
का मुख्य कारण था.
परन्तु आज वह कुछ ज्यादा ही रिलेक्स लग रहे थे.
मैंने जोर देकर फिर कहा -अरे अंकल आज आप काफी रेलक्स लग रहे हो !
आज आपको बेटी की फिकर नहीं खाए जा रही है,
उन्होंने विचित्र सा जोरदार ठहाका लगाया और बोले अब मेरी सब टेंशन दूर हो गयी है.
मै आज वास्तव में रिलेक्स हूँ -
अरे वाह अंकल क्यों ! मै उत्सुकता से बोला.
वो भगवान के घर चली गयी है.
उनके रेलक्स दिखने और हसी का राज मेरे समझ आ चुका था.
मै अवाक् सा उन्हें देखता रहा !
Tuesday, December 21, 2010
लोक देवता बाबा राम देव
लोक देवता बाबा राम देव :
मित्रो आप सभी को राजेश भारद्वाज का नमस्कार !
आज आपके साथ राजस्थान के लोग देवता बाबा राम देव के स्थान रुनिजा/रुनिचा के अनुभव और कुछ फोटो और एक विडिओ शेयर करने जा रहा हूँ.
ये धार्मिक स्थान पोकरण से १०-१२ किलोमीटर दूर स्तिथ है.इस गाँव का मूल नाम रामदेवरा है.लोक नायक बाबा राम देव को भक्त आदर से रुनिचा का राजा भी कहते है.यहाँ पर बाबा राम देव की समाधी है.
साथ ही यहाँ डाली बाई का मंदिर है.साथ ही डाली बाई का कंगन भी स्थापित है.भक्त डाली बाई के कंगन में से लेटकर निकलते है और मन्नत मंगाते है,जैसा आप फोटो में देख रहे है.
भादो मास के शुक्ल पक्ष में रामदेवरा में बड़ा भरी मेला लगता है.देश के कोने कोने से भक्त हजारो की संख्या में दर्शनो के लिए आते है.कई लोग तो दूर दूर से पैदल या साइकिल द्वारा आते है.भक्तो की सुविधा हेतु भंडारे का आयोजन हर थोड़ी थोड़ी दूरी पर होता है.जिससे पैदल या साइकिल से आने वालो भक्तो को कम से कम असुविधा का अनुभवहोता है.भंडारे के आयोजक की बाबा राम देव के भक्तो की सेवा कर सुख का अनुभव करते हैभक्त जय बाबा री का जय घोष करते हुए आगे बढ़ते जाते है !
आप सभी मित्र जो बड़ी संख्या में मेरे ब्लॉग व्यू कर मेरा उत्साह वर्धन कर रहे है.आप सभी को धन्यवाद् !
मित्रो आप सभी को राजेश भारद्वाज का नमस्कार !
आज आपके साथ राजस्थान के लोग देवता बाबा राम देव के स्थान रुनिजा/रुनिचा के अनुभव और कुछ फोटो और एक विडिओ शेयर करने जा रहा हूँ.
ये धार्मिक स्थान पोकरण से १०-१२ किलोमीटर दूर स्तिथ है.इस गाँव का मूल नाम रामदेवरा है.लोक नायक बाबा राम देव को भक्त आदर से रुनिचा का राजा भी कहते है.यहाँ पर बाबा राम देव की समाधी है.
साथ ही यहाँ डाली बाई का मंदिर है.साथ ही डाली बाई का कंगन भी स्थापित है.भक्त डाली बाई के कंगन में से लेटकर निकलते है और मन्नत मंगाते है,जैसा आप फोटो में देख रहे है.
भादो मास के शुक्ल पक्ष में रामदेवरा में बड़ा भरी मेला लगता है.देश के कोने कोने से भक्त हजारो की संख्या में दर्शनो के लिए आते है.कई लोग तो दूर दूर से पैदल या साइकिल द्वारा आते है.भक्तो की सुविधा हेतु भंडारे का आयोजन हर थोड़ी थोड़ी दूरी पर होता है.जिससे पैदल या साइकिल से आने वालो भक्तो को कम से कम असुविधा का अनुभवहोता है.भंडारे के आयोजक की बाबा राम देव के भक्तो की सेवा कर सुख का अनुभव करते हैभक्त जय बाबा री का जय घोष करते हुए आगे बढ़ते जाते है !
आप सभी मित्र जो बड़ी संख्या में मेरे ब्लॉग व्यू कर मेरा उत्साह वर्धन कर रहे है.आप सभी को धन्यवाद् !
Saturday, December 18, 2010
माटी की सोंधी खुशबु
माटी की सोंधी खुशबु
भारत माता ग्राम वासिनी,
खेतो में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आंचल !
मिटटी की प्रतिमा उदासिनी
भारत माता ग्राम वासिनी !!
महानगरो में concrete के घने जंगलो के एक बड़े विस्तार के बावजूद आज भी वास्तविक भारत के दर्शन करने हो तो हमें गाँव की और रुख करना पड़ता है.हमारी चिंता ये है की विदेशी सभ्यता के बढ़ते असर से कही ग्रामीण सभ्यता, पहनावा ,साज श्रृंगार लुप्त न हो जाये.
गाँव का विकास होना चाहिये,वहा सुख सुविधाओ का विस्तार होना चाहिये,पर इस कीमत पर नहीं की हमें हमारी गर्मीं सभ्यता संस्कृति के दर्शन दुर्लभ हो जाये.गाँव में चूल्हे पर सिकती रोटियों की खुशबू कोई फाइव स्टार होटल का शेफ नहीं दे सकता उसका स्वाद लेना है तो आपको गाँव में ही आना होगा.
मक्के दी रोटी और सरसों के साग का असली स्वाद तो आपको गाँव में ही मिलेगा.साथ में लस्सी का ग्लास मिल जाये तो क्या कहने.
सीखो की रंग बिरंगी पगड़िया,राजस्थानी लोगो के साफे [पगड़ी] अचकन बीते कल की बात न हो जाये ये ही हमारी चिंता का विषय होना चाहिये.
चूड़ी और पायल की खनक कही जेंस शर्ट के पहनावे में ग़ुम न हो जाये!
जहाँ पाँव में पायल,हाथो में कंगन !
और माथे पे बिंदिया
इट हप्पेंस ओनली इन इंडिया !!
मै कोई आपको देश भक्ति का पाठ नहीं पढ़ा रहा हूँ .यदि आपने ग्रामीण संस्कृति के सजीव दर्शन नहीं किये हो तो मित्रो मै आपको राजस्थान आने का सादर निमंत्रण देता हूँ.पुष्कर,जैसलमेर,जोधपुर,बीकानेर के गावों में आपको माटी की खुशबु मिलेगी .राजस्थान की यात्रा आप के लिए कभी न भूलने वाला अनुभव रहेगी.
धरती सुनहरी अम्बर नीला !हर मौसम रंगीला ! ऐसा देश है मेरा !
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
भारत माता ग्राम वासिनी,
खेतो में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आंचल !
मिटटी की प्रतिमा उदासिनी
भारत माता ग्राम वासिनी !!
महानगरो में concrete के घने जंगलो के एक बड़े विस्तार के बावजूद आज भी वास्तविक भारत के दर्शन करने हो तो हमें गाँव की और रुख करना पड़ता है.हमारी चिंता ये है की विदेशी सभ्यता के बढ़ते असर से कही ग्रामीण सभ्यता, पहनावा ,साज श्रृंगार लुप्त न हो जाये.
गाँव का विकास होना चाहिये,वहा सुख सुविधाओ का विस्तार होना चाहिये,पर इस कीमत पर नहीं की हमें हमारी गर्मीं सभ्यता संस्कृति के दर्शन दुर्लभ हो जाये.गाँव में चूल्हे पर सिकती रोटियों की खुशबू कोई फाइव स्टार होटल का शेफ नहीं दे सकता उसका स्वाद लेना है तो आपको गाँव में ही आना होगा.
मक्के दी रोटी और सरसों के साग का असली स्वाद तो आपको गाँव में ही मिलेगा.साथ में लस्सी का ग्लास मिल जाये तो क्या कहने.
सीखो की रंग बिरंगी पगड़िया,राजस्थानी लोगो के साफे [पगड़ी] अचकन बीते कल की बात न हो जाये ये ही हमारी चिंता का विषय होना चाहिये.
चूड़ी और पायल की खनक कही जेंस शर्ट के पहनावे में ग़ुम न हो जाये!
जहाँ पाँव में पायल,हाथो में कंगन !
और माथे पे बिंदिया
इट हप्पेंस ओनली इन इंडिया !!
मै कोई आपको देश भक्ति का पाठ नहीं पढ़ा रहा हूँ .यदि आपने ग्रामीण संस्कृति के सजीव दर्शन नहीं किये हो तो मित्रो मै आपको राजस्थान आने का सादर निमंत्रण देता हूँ.पुष्कर,जैसलमेर,जोधपुर,बीकानेर के गावों में आपको माटी की खुशबु मिलेगी .राजस्थान की यात्रा आप के लिए कभी न भूलने वाला अनुभव रहेगी.
धरती सुनहरी अम्बर नीला !हर मौसम रंगीला ! ऐसा देश है मेरा !
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
वर्तमान भविष्य का आधार FUTURE DEPENDS ON PRESENT
वर्तमान भविष्य का आधार;युवा मित्रों एक बार फिर राजेश भारद्वाज का नमस्कार!ये ब्लॉग मेरे उन मित्रो के लिए है एक अच्छे भविष्य कि कल्पना कर रहे है.उज्जवल भविष्य कि कल्पना करना, सपने देखना बहुत अच्छी बात है.जब हम बड़े सपने देखेंगे तो ही उन्हें सच करने के लिए प्रयास करेंगे.परन्तु इसके लिए हमें हमारे वर्तमान समय को समुचित ढंग से जीना होगा.जैसे यदि हम जिस क्लास में अध्ययन कर रहे है उसकी तैयारी बहुत अच्छे तरीके से करनी होगी.तभी भविष्य में अच्छा कैरियर बना सकते है.भविष्य के बारे में हम सोच -सोच कर परेशान होते रहते है.
इसी प्रकार यदि हम नोकरी में है वर्तमान में अपना दायित्व ठीक से निभा रहे है तो भविष्य में हमारी पदोन्नति के अधिक अवसर आने कि संभवना है.स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है.यदि आज हमारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो भविष्य में और अधिक ख़राब रहने की संभावना है.
मजबूत नीव मजबूत भवन का आधार होती है.नीव अर्थात वर्तमान -अतः हमें वर्तमान को बहुत अच्छे तरीके से जीना है भविष्य की अधिक चिंता न करते हुए.गोल माल फिल्म का गाना याद आ रहा है-आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें जिन्दगी बिता लो पल जो ये जाने वाला है!अभी बस इतना ही शेष अगले ब्लॉग में,अरे भाई कोई मित्र आपको रिश्तेदार की जैसे पत्र लिख रहा है please जवाब दे!प्रतिक्रिया दे!
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
इसी प्रकार यदि हम नोकरी में है वर्तमान में अपना दायित्व ठीक से निभा रहे है तो भविष्य में हमारी पदोन्नति के अधिक अवसर आने कि संभवना है.स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है.यदि आज हमारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो भविष्य में और अधिक ख़राब रहने की संभावना है.
मजबूत नीव मजबूत भवन का आधार होती है.नीव अर्थात वर्तमान -अतः हमें वर्तमान को बहुत अच्छे तरीके से जीना है भविष्य की अधिक चिंता न करते हुए.गोल माल फिल्म का गाना याद आ रहा है-आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें जिन्दगी बिता लो पल जो ये जाने वाला है!अभी बस इतना ही शेष अगले ब्लॉग में,अरे भाई कोई मित्र आपको रिश्तेदार की जैसे पत्र लिख रहा है please जवाब दे!प्रतिक्रिया दे!
आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Friday, December 17, 2010
सदभाव प्रकट करो express your self
सदभाव प्रकट करो :मेरे युवा मित्रो के लिए बहुत कठिन भाषा है पर आप मेरे इंग्लिश शीर्षक से समझ गए होंगे कि मै क्या कहना चाह रहा हूँ.कई बार ऐसा होता है हम हमारे दोस्तों के लिए मन में बहुत अच्छे विचार या भाव रखता है परन्तु वह हमारे प्रति ठीक व्यव्हार नहीं रख रहा होता है.इसी प्रकार परेंट्स अपने बच्चो के प्रति बहुत स्नेह रखते है परन्तु बच्चे उने खिचे खिचे रहते है या आप बड़े परिवार के मुखिया हो परन्तु परिवार का कोई सदस्य अपने आपको उपेक्षित महसूस करता है.आप शिक्षक हो परन्तु आपका होनहार विद्यार्थी भी आप का ठीक से सम्मान नहीं करता है.मित्रो इन सभी का मूल कारण ये है कि आप उनके प्रति जो स्नेह का या आदर का भाव रखते हो,वह आपने उसके प्रति ठीक तरह से प्रकट नहीं किया है.शिक्षक विद्यार्थी को समय समय पर शाबाशी देकर,पेरेंट्स अपने बच्चो को छोटा मोटा उपहार देकर या मधुर शब्दों में उसकी सराहना कर के,संयुक्त परिवार का मुखिया या सासु माँ बहु कि तरफ स्नेह से देखने मात्र से आप के युवा सदस्य में आपके प्रति सम्मान का भाव बढेगा.इसी प्रकार आपके दोस्तों को हर त्यौहार,जन्मदिन पर S M S के माधयम से या आपके साथ है तो उसे विश कर के आप अपे दोस्तों के अधिक नजदीक आ सकते है.अत दिल के भावो को शब्दों से उपहार के माध्यम से या मात्र मुस्करा के प्रकट कर सकते है.भावनाओ को छुपाइये मत समय समय पर प्रकट करते रहिये,जीवन को सुखमय बनाते रहिये.ब्लॉग व्यू करते रहे आपका मित्र राजेश भारद्वाज
मुंगेरी लाल घर का सपना DREAM OF A HOUSE
मुंगेरी लाल घर का सपना:एक मै दिन मेरे मित्र्र से प्लाट खरीदने व् उस पर मकान बनवाने की चर्चा कर रहा था.उसके अगले ही दिन हमारी कालोनी के प्रोपर्टी डीलर मिस्टर झामनानी मुझसे मिलने आये बोले - सर आप प्लाट खरीदने की सोच रहे हो.मै आपको एक आपकी पसंद का प्लाट दिलाता हूँ,आपको जरूर पसंद आएगा.कमीशन भी आपसे वाजिब लूँगा.प्लाट मेरी पसंद का था तुरंत सोदा हो गया.प्लाट की रजिस्ट्री करने वाले अधिकारी मिस्टर शर्मा मेरे घर पर आ गए बोले -भाई साहब चलिए आपके प्लाट की आज रजिस्ट्री करा देते है.उन्होंने रजिस्ट्री भी करवाई और कोफ़ी भी पिलाकर भेजा.दूसरे ही दिन नगर निगम कि अधिकारी आये-सर आपने मकान का मेप बनवा लिया हो तो हम उसे स्वीकृत कर देते है.मैंने पहले से ही मेप बनवा रखा था.नगर निगम के अधिकारियो ने उसे तुरंत घर बैठे ही स्वीकृत करवा कर भिजवा दिया.पता नहीं कहा से बैंक के मेनेजर को मेप के स्वीकृत होने कि सूचना मिल गयी.बैंक से पत्र आया सर हमें पता चला है कि आपके मकान का मेप स्वीकृत हो गया है हम आपको लोन देना चाहते है कृपया आप आकर लोन पास करा ले.अब बैंक से लोन पास हो गया था.ठेकेदार आया बोला भाई जी बहुत वाजिब रेट में आपको मकान बनाकर दूंगा मैंने उसे ही ठेका दे दिया.मकान का काम शुरू हुआ था कि पानी वितरण विभाग के इंजिनियर आये -नम्रता पूर्वक कहने लगे सर पानी के कनेक्शन हेतु फाइल लाया हूँ कृपया आप इस फाइल पर साइन कर दे कल ही आपके प्लाट में पानी का कनेक्शन लग जायेगा.ठेकेदार ने तीन महीने में मकान बनाकर दे दिया.बिजली विभाग के कर्मचारी भी घर से ही बिजली के कनेक्शन की फाइल ले गए एक दिन में ही बिजली का कनेक्शन लग गया. मेरे नए मकान पर गृहप्रवेश का उत्सव हो रहा है बाहर ढोल वाला ढोल बजा रहा है तभी श्रीमती जी की कर्कश आवाज सुने दी -अरे आप उठोगे नहीं क्या!आपको प्लाट का नक्शा पास करने नगर निगम के दफ्तर नहीं जाना है!ऐसे ही सोते रहे तो बन गया इस जन्म में मकान! ओहो तो मै ख्वाब देख रहा था .बाहर गली के नुक्कड़ पर पान की दुकान के रेडियो पर गाना बज रहा था -एक बंगला बने न्यारा!क्या एक आम भारतीय का ख्वाब एक अदद मकान आसानी से पाने का कभी पूरा हो पायेगा !आपका मित्र राजेश भारद्वाज आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा में !
Tuesday, December 14, 2010
बुरा जो देखन मै चला
बुरा जो देखन मै चला:मित्रो राजेश भारद्वाज का नमस्कार! दोस्तों कुछ लोग हमेशा सोचते रहते है,लोगो का व्यव्हार ऐसा होना चाहिये वैसा होना चाहिये,हमेशा व्यवस्था को,सरकार को,समाज को कोसते रहते है.मेरे इसे साथियों से कहना है किस किसी और को बदलने कि जरूत नहीं है.शुरुआत स्वयं से करनी चाहिये.कबीर दास जी दोहा है -बुरा जो देखन मै चला,बुरा न मिलिया कोई,जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोई.मै ये नहीं कहता आप बुरे है या आप में कमिया है,परन्तु मेरा ये आपसे निवेदन है कि हम छोटी छोटी शुरुआत कर सकते है जिससे आपको अपने अस पास बदलाव दिखाई देगा.सबसे पहले हमें यह आत्म चिंतन करना चाहिये कि मेरा व्यव्हार अन्य लोगो के साथ कैसा है,यदि आपको कुछ कमिया नज़र आये तो आप अपने व्यव्हार में सकारात्मक बदलाव कर सकते है इस बदलाव से आपके परिचित आपको और अधिक पसंद करने लगेंगे.इसी प्रकार जहा हम कार्य करते है जहा पब्लिक डीलिंग होती है वहा हम आम जनता का कार्य शीघ्र कर कर उन्हें खुश कर सकते है.याद रखिये हमें किसी सरकारी दफ्तर में कम होता है और वहा का कर्मचारी देरी करता है तो हमें कितना बुरा लगता है,उस पर कितना क्रोध आता है!इसी तरह हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को सुन्दर बना सकते है.भावी पीढ़ी को एक प्रदुषण मुक्त संसार दे सकते है.ये हमारे छोटे छोटे प्रयास हमारी दुनिया को बेहतर बना सकते है.प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार का शेर याद आ रहा है:कैसे नहीं हो सकता आसमा में सुराख़,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो!हम बदलेंगे तो ये दुनिया अपने आप बादल जाएगी शुरुआत तो अपने आप से करनी होगी.आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Sunday, December 12, 2010
लड़की या बकरी
लड़की या बकरी: आज का ये ब्लॉग उन पेरेंट्स के लिए है जिनकी बेटिया विवाह योग्य हो गई है.हमारे समाज में लड़की के जन्म के साथ ही पेरेंट्स को उसके भविष्य कि चिंता सताने लगाती है.जब बेटी बड़ी हो जाती है तो उस के लिए योग्य वर ढूंढना पेरेंट्स के लिए एक चुनोती पूर्ण कार्य बन जाता है.पेरेंट्स जैसे भी कही भी बिना उसकी मर्जी जाने समाज में उसका रिश्ता पक्का करने कि सोचते है.मै मानता हूँ कि स्तिथियों में काफी बदलाव आया है.परन्तु कमो बेश स्तिथि वैसी ही है जैसा मैंने कहा है.ये स्तिथि भारत सहित सभी एशियाई देशो में है इसके पीछे अथिक कारण भी है तथा लोगो कि पिछड़ी मानसिकता भी है.हमें कन्या दान करना है,कन्या को दान में नहीं देना है.जहा लडकिया आत्मनिर्भर हो गयी है उनकी स्तिथि में काफी सुधार है.पेरेंट्स से मेरा निवेदन है कि वो हर प्रकार से लड़की कि मर्जी जान कर उसके लिए योग्य वर कि तलाश करे.न कि उसे कोई पशु के सामान समझ कर किसी के साथ भी बांध दे केवल अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए.किसी भी तरह के दबाव में निर्णय न ले.बेटियों को आत्मनिर्भर बनाये जिससे वे समाज में सर उठ कर जी सके.मेरी बाते कडवी लगी हो तो क्षमा करे.आपक मित्र राजेश भारद्वाज कृपया ब्लॉग व्यू करे प्रतिक्रिया अवश्य दे !वेदों में क्या लिखा है,शास्त्रों ने क्या कहा है!जो हमने जीवन के सफ़र में जाना वो आपसे कहा है!!
THANKS GOOGLE
THANKS GOOGLE:जब हम गूगल के लिए लोग इन करते है तब नीचे एक लाइन लिखी होती है आज मेरी किस्मत अच्छी है.मित्रो ये बात दिल से कहना चाहता हूँ कि जब मेरे बेटे सिद्दार्थ ने कहा कि dady आप ब्लॉग के माध्यम से अपने विचार काफी बड़े वर्ग तक पंहुचा सकते हो तो मुझे विश्वास नहीं हुआ.आज लगभग दो सप्ताह से मै नियमित रूप से ब्लॉग लिख रहा हूँ,काफी लोगो ने मेरे ब्लॉग को व्यू किया है.इससे मुझे और अधिक लिखने की प्रेरणा मिली है.इसके लिए मै गूगल का ह्रदय से धन्यवाद करना चाहता हूँ.साथ ही मेरे ब्लॉग को व्यू करने वाले मित्रो को विश्वास दिलाता हूँ कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने हेतु एवं आपका मनोरंजन करने के लिए नए नए व् मौलिक ब्लॉग लिखने का प्रयास करूंगा.एक बार फिर से थैंक्स गूगल जिसने मुझे ये मंच प्रदान किया तथा एक बड़े वर्ग से जुड़ने का मौका दिया मेरे ब्लॉग व्यू करने वाले मित्रो का धन्यवाद.जैसी कि मेरी आदत है फ़िल्मी गाने के बिना मेरा ब्लॉग अधूरा है;एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा [गूगल का भी]है दोस्तों ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों !बची हुई दिल कि बाते अगले ब्लॉग में आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Saturday, December 11, 2010
खुशियों की चाबी KEY OF HAPPINESS
खुशियों की चाबी KEY OF HAPPINESS:मित्रो आपने कभी सोचा है कि हमारे खुशियों/मुस्कान कि चाबी किसके पास है ! कोई हमारे ऊपर विपरीत कमेन्ट कर देता है तो सारा दिन हमारा मूड ख़राब रहता है.हम उस दिन दूसरो के साथ भी अच्छा व्यव्हार नहीं करते है.आपने प्राय देखा होगा कि बड़े अधिकारियो का चेहरा भुने हुए पापड़ कि तरह सूजा हुआ रहता है इसके विपरीत उनके मातहत कर्मचारियों का चेहरा मुस्कराता हुआ या खिला हुआ रहता है.क्या हमारी प्रसन्नता कि चाबी दूसरे व्यक्ति के हाथ में है!चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो हमें हमेशा
मुस्कराते हुए रहना है.खासकर युवा मित्रो से मेरा कहना है;चाहे कितनी भी बाधा आये तुम बिलकुल नहीं रोना ,अपने चेहरे कि मुस्कान कभी न खोना.मुस्कान से भरा चेहरा दूसरो को अपनी और आकर्षित करता है इसके विपरीत सीरियस चहरे वाले लोगो से बोलना कम पसंद करते है.अतः अपनी पर्सनल्टी को आकर्षक बनाने के लिए हमेशा मुस्कराते रहना चाहिये.मिस्टर इंडिया फिल्म का गाना याद आ रहा है;गम का बादल जो छाये तो हम मुस्कराते रहे अपनी आँखों में आशाओ के दीप जलाते रहे.मित्र लोग कहते है आप अपने ब्लॉग में फ़िल्मी गानों का इस्तेमाल बहुत करते हो.हम अपने समस्याओ के हल के लिए भरी भरकम धार्मिक ग्रन्थ खोलने से रहे.फ़िल्मी गानों में मै जीवन कि सफलताओ के मंत्र ढूंढता रहता हूँ.कैसा लगा मेरा आईडिया!शेष चर्च अगले ब्लॉग में,मेरे ब्लॉग व्यू करते रहे follow करते रहे,अन्य मित्रो को भी मेरे ब्लॉग पढ़ने की सलाह दे आपका मित्र राजेश भारद्वाज
मुस्कराते हुए रहना है.खासकर युवा मित्रो से मेरा कहना है;चाहे कितनी भी बाधा आये तुम बिलकुल नहीं रोना ,अपने चेहरे कि मुस्कान कभी न खोना.मुस्कान से भरा चेहरा दूसरो को अपनी और आकर्षित करता है इसके विपरीत सीरियस चहरे वाले लोगो से बोलना कम पसंद करते है.अतः अपनी पर्सनल्टी को आकर्षक बनाने के लिए हमेशा मुस्कराते रहना चाहिये.मिस्टर इंडिया फिल्म का गाना याद आ रहा है;गम का बादल जो छाये तो हम मुस्कराते रहे अपनी आँखों में आशाओ के दीप जलाते रहे.मित्र लोग कहते है आप अपने ब्लॉग में फ़िल्मी गानों का इस्तेमाल बहुत करते हो.हम अपने समस्याओ के हल के लिए भरी भरकम धार्मिक ग्रन्थ खोलने से रहे.फ़िल्मी गानों में मै जीवन कि सफलताओ के मंत्र ढूंढता रहता हूँ.कैसा लगा मेरा आईडिया!शेष चर्च अगले ब्लॉग में,मेरे ब्लॉग व्यू करते रहे follow करते रहे,अन्य मित्रो को भी मेरे ब्लॉग पढ़ने की सलाह दे आपका मित्र राजेश भारद्वाज
भोग दुखो का कारण
भोग दुखो का कारण ; मित्रो आप सभी को राजेश भारद्वाज का नमस्कार.सबसे पहले तो आप सभी को धन्यवाद् जो आप मेरे ब्लॉग को पढ़ रहे है इससे मुझे और अधिक अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है.मित्रो हम जीवन में जितना अधिक खान पान में या दैनिक लाइफ स्टाइल में सुख सुविधाओ का उपयोग करते है,वही सुख/उपभोग भविष्य में हमारे लिए दुखो का कारण बन जाता है,जैसे हम खान पान में अधिकता करते है और शारीरिक परिश्रम नहीं करते है तो हम विभिन्न रोगों को निमंत्रण दे रहे है.इसी प्रकार घर ऑफिस के कार्य में नोकरो पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिये.एक दृष्टान्त सुनाता हूँ प्राचीन काल में महारानी के यहाँ एक नोकरानी कार्य करते हुए उनके पलंग पर थक कर सो गयी.महारानी ने देखा तो उसने नोकरानी को दस चाबुक लगाने की सजा सुना दी.नोकरानी ने कहा रानी जी में थोड़ी देर आपके पलंग पर गलती से सो गयी तो आपने मुझे दस चाबुक लगाने की सजा सुना दी.परन्तु आप तो रोज इसी पलंग पर सोते हो,भगवन आपको कितने चाबुक लगाने की सजा देगा.रानी ने ये बात सुनकर उसकी सजा माफ़ कर दी.मित्रो कहने का मतलब ये है की जिन कार्यो में हमें सुख नज़र आता है,वही दुःख का कारण बन जाते है.दुकानों पर सेठ लोग दिन भर बैठे रहते है उनकी तुलना में उनके नोकरो का स्वस्थ्य अधिक अच्छा होता है क्योकि वे दिन भर शारीरिक परिश्रम करते है.इसी प्रकार जो लोग सादा भोजन करते है उनका स्वास्थ्य भी उन लोगो की तुलना में अच्छा रहता है जो अधिक तला भुना या वसा युक्त भोजन करते है.इसी प्रकार अधिक मदिरा सेवन,/गुटका,तम्बाकू युक्त उत्पाद भी हमें शीघ्र मोत के द्वारपर ले जाते है.मध्यम मार्ग ही उत्तम मार्ग है. दाल रोटी खाईये,प्रभु के गुण गाइए.आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Monday, December 6, 2010
joy of giving
देने का सुख;घर से मंदिर//मस्जिद है बहुत दूर न जाया जाये चलो किसे रोते हुए बच्चे को हसाया जाये.मित्रो ये शेर मुझे बहुत पसंद है.आप किसी भिखारी को कितनी ही बड़ी रकम दान कर दो,उसकी आँखों में वो चमक नहीं दिखाई नहीं देगी जो एक जरूरतमंद की आँखों में दिखाई देगी.हमारे आस पास कोई बच्चा स्पोर्ट्स में नाम कमाना चाहता है उसके पास अच्छे शूज नहीं है या कोई होनहार विद्यार्थी स्कूल या कॉलेज की फ़ीस नहीं दे सकता है,उसे किताबे खरीदने के लिए पैसो की आवश्यकता है तो हमें उनकी मदद जरूर करनी चाहिये. इसी प्रकार हमारे पास कोई शेक्षिक योग्यता है किसी युवा को कैरियर के सम्बन्ध में मार्गदर्शन चाहिये तो उसका भरपूर मार्गदर्शन करना चाहिये.किसी को देने जो सुख है वो लेने में नहीं है.बस मित्रो अपने को तो अपनी बात शोर्ट में कहने की आदत है.प्राचीन हिंदी कवि बिहारी जी का ये दोहा याद आ रहा है;सतसैया के दोहरे ज्यो नाविक के तीर,देखन में छोटे लगे घव करे गंभीर.सीधे और सरल शब्दों में अपने को अपने बात कहने की आदत है.राजकपूर की फिल्म का एक गाना याद आ रहा है आपको शायद मेरी बाते अच्छी लग रही है गाना सुना दू -दिल का हाल सुने दिल वाला सीधी सी बात न मिर्च मसाला कह के रहेगा कहने वाला.बस ये अपुन का स्टाइल है शेष फिर आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Friday, December 3, 2010
ये देश है मेरा
ये देश है मेरा;मित्रो आज फिर अख़बार में पढ़ा.एक युवती स्टोव पर खाना बनाते हुए झुलस गयी.ये कोई नै खबर नहीं है.परन्तु सोचने वाली बात ये हैकी कोई बुजुर्ग महिला या पुरुष स्टोव पर खाना बनाते हुए नहीं झुलसता है.चे हिन्दू महिला हो या अन्य धरम को मानाने वाली महिला हो सभी की समाज में सामान स्तिथि है.सभी के मूल में दहेज़ की मांग है.दहेज़ भारतीयों को अपनी आर्थिक स्तिथि सुधारने के एक आसान तरीका नज़र आता है.हम भारतीय कितना भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ गए हो,परन्तु दहेज़ के मामले में हमारी सोच सदियों पुरानी है .गिरते हुए लिंगानुपत का कारण भी दहेज़ ही है.मजे की बात ये है की महिलाए हे महिलाओ की दुश्मन नजर आती है.यदि हमारे परिवार में स्वयं लड़का दहेज़ नहीं चाहता है परन्तु उसकी माँ,भाभी या अन्य कोई महिला सदस्य उसे दहेज़ मांगने हेतु प्रेरित करता है,ये सभी के लिए आत्म मंथन का विषय है.दोस्तों में चाहता हूँ की आपसे हलके फुल्के विषयो पर चर्चा करू परन्तु आज की इस खबर ने मुझे विवश कर दिया कल सन्डे है जरूर कोई हलकी फुलकी चर्चा करेंगे आपका मित्र राजेश भारद्वाज
Thursday, December 2, 2010
गाडी बुला रही है
गाडी बुला रही है सिटी बजा रही है चलाना ही जिन्दगी है चलती ही जा रही है.मित्रो ये ब्लॉग उस युवा वर्ग के लिए है जो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हेतु प्रयास कर रहे है.उन्हें ये शंका है की हमें सफलता मिलेगी या नहीं.नाकामयाबी ही कामयाबी की पहली सीढ़ी है.नाकामयाबी की आशंका से हमें अपने प्रयासों में कमी नहीं आने देनी चाहिये.हमें हमारे आस पास समाज में एसे अनेक लोग मिल जायेंगे जिन्होंने अपने निरंतर प्रयासों से अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है.उनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिये.साधनों की कमी के बावजूद युवाओ ने अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त की है.लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सही दिशा में प्रयास करने चाहिये.उचित पुस्तकों एवं अनुभवी लोगो से मार्गदर्शन लेना चाहिये.मन में ये विश्वास रखना चाहिये की हम दृढ निश्चय के साथ प्रयास करेंगे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी.शेष अगले ब्लॉग में आपका मित्र राजेश भारद्वाज
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