Sunday, November 28, 2010
ये दिल मांगे मोर
ये दिल मांगे मोर.आज के समय में हम अधिक से अधिक पाने की चाह रखते है.ये प्रवृति हमें दुःख और निराशा की और ले जाती है.लोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समझोते करते है तथा गलत साधनों का सहारा लेते है.विदेशो में कई लोगो ने अपने परिवार के लिए अधिक वेतन की नोकरी को छोड़ दिया है ताकि वे अपने परिवार को अधिक से अधिक समय दे सके.जबकि हम अधिक पाने की चाह में अपने मूल्यों से समझोता कर रहे है.किसी भी हद तक जाने को तैयार है.हमारे ऋषियों ने हमें संतोष से रहने की शिक्षा दी है.संतोषी सदा सुखी का सिधान्त बताया है.चाहे हम कितना भी धन कमा ले परन्तु पैसो से सुख शांति नहीं खरीदी जा सकती है.मन की शांति तो धरम और अध्यात्म द्वारा ही प्राप्त हो सकती है.आधुनिक वातावरण हमें अधिक से अधिक धन कमाने की और प्रेरित करता है.पर्तिस्पर्धा में आगे ही आगे बढ़ने को कहता है.चाहे इस के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हम तैयार रहते है.परन्तु मित्रो मेरा तो येही कहना है दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ.आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434
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