Sunday, November 28, 2010

तेरा साथ है कितना प्यारा

तेरा साथ है कितना प्यारा कम लगता है जीवन सारा.दोस्तों जब हम अपने जीवन  साथी के बारे में पोजिटिव सोच रखते है, तब हमें उसमे बहुत   सारी अच्छी बाते  नज़र आती है.हमें लगता है हमें बहुत ही अच्छा जीवनसाथी मिला है.परन्तु किसी कारण से उससे मतभेद हो जाता है तो हमें उसमे बहुत सारी कमिया नज़र आने लगाती है.परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है.हमें हमारे जीवन साथी को उसकी खूबियों के साथ उसकी कमियों को भी स्वीकार करना चाहिये.मतभेद हो जाये मनभेद नहीं होना चाहिये.उसकी कमियों को नज़रंदाज़ कर देना चाहिये.तब ही हम सुखी जीवन गुजार सकते है.जैसे हम दोस्तों की भावनाओ का ख्याल रखते है की हमारी किसी बात से वह नाराज न हो जाये.वैसे ही जीवनसाथी की भावनाओ को ध्यान में रखकर उसके साथ व्यव्हार रखना चाहिये.तब ही हमारा जीवन सुखमय हो सकता है.जीवन गाड़ी  स्मूथ चलेगी.प्यार में कभी -कभी ऐसा हो जाता है छोटी सी बात का फ़साना बन जाता है.अच्छी पुस्तके भी हमें जीवन को ठीक तरीके से जीने की राह दिखाती है.पोजिटिव सोच रखकर ही हम जीवन को खुशहाल बना सकते है आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा में आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434

बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे: हम बचपन में गुड्डे गुडियो से खेलते थे.आज मोबाइल और विडियो गेम  बच्चो की पहली पसंद बन गए है.यहाँ तक की बच्चे कॉमिक्स पढ़ना भी पसंद नहीं करते है.जबकि बचपन में हमने बल पत्रिकाओ का भरपूर आनंद लिया है.आज के बच्चे बाल पत्रिकाए पढना कम पसंद करते है.कॉमिक्स भी वही पसंद करते जो हिंसा से भरपूर हो या काल्पनिक चरित्रों पर आधारित हो.देवी देवताओ और महापुरशो की जीवनी पर आधारित कॉमिक्स पढना कम पसंद करते है.कहावत है की जैसा अन्न वैसा मन.आधुनिक कॉमिक्स के चरित्र बच्चो के मन पर विपरीत प्रभाव डालते है.ये कहानिया बच्चो के दिमाग की खुराक के सामान है.जो  बच्चो को हिंसक और काल्पनिक दुनिया में जीने वाला बना रही है.बाल मन कच्ची मिटटी के सामान होता है.जैसा साहित्य/ किताबे हम बच्चो को देंगे वे  ही वास्तविक जीवन में भी वैसा ही बनाने की सोचते है.अतः पेरेंट्स  की यह जिम्मेदारी बनती है की अपने बच्चो को अच्छी मेग्ज़िन्स/कॉमिक्स लाकर दे जो बच्चो का सही मायने में मार्गदर्शन कर सके.यहाँ तक की उनके दोस्तों के जन्मदिन आदि अवसरों पर अच्छी पुस्तके उपहार में दे कर नयी परंपरा कायम करे .-आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा में आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434

छुट्टी का आनंद

आप कल्पना कीजिये सर्दियों की गुनगुनी धुप में गार्डेन में कोफी की चुस्कियों के साथ अपनी मनपसंद मैगज़ीन या नोवेल आपके हाथ में हो आप दीन दुनिया से बेखबर होकर उसका आनंद ले रहे हो तो आपकी छुट्टी का मजा दोगुना हो जाता है आप खुद को एक अलग दुनिया में  तनावरहित महसूस करते है दोस्तों किताबो की दुनिया का अपना एक अलग ही मज़ा है किताबों को अपना दोस्त बनाइये फिर आप खुद को अकेला नहीं समझेंगे किताबे जीवन के हर मोड़ पर आपको राह दिखाएगी दोस्तों आपको मेरे विचार कैसे लगे आपके कमेन्ट मुझे और लिखने को प्रेरित करेंगे आपका मित्र राजेश भरद्वाज 09413247434

ये दिल मांगे मोर

ये दिल मांगे मोर.आज के समय में हम अधिक से अधिक पाने की चाह रखते है.ये प्रवृति हमें दुःख और निराशा की और ले जाती है.लोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समझोते करते है तथा गलत साधनों का सहारा लेते है.विदेशो में कई लोगो ने अपने परिवार के लिए अधिक वेतन की नोकरी को छोड़ दिया है ताकि वे अपने परिवार को अधिक से अधिक समय दे सके.जबकि हम अधिक पाने की चाह में अपने मूल्यों से समझोता कर रहे है.किसी भी हद तक जाने को तैयार है.हमारे ऋषियों ने हमें संतोष से  रहने  की शिक्षा दी है.संतोषी सदा सुखी का सिधान्त बताया है.चाहे हम कितना  भी धन कमा ले परन्तु पैसो से सुख शांति नहीं खरीदी जा सकती है.मन की शांति तो धरम और अध्यात्म द्वारा ही प्राप्त हो सकती है.आधुनिक वातावरण हमें अधिक से अधिक धन कमाने की  और प्रेरित करता है.पर्तिस्पर्धा में आगे ही आगे बढ़ने को कहता है.चाहे  इस के लिए हमें   कोई भी कीमत चुकानी पड़े हम तैयार रहते है.परन्तु मित्रो मेरा तो येही कहना है दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ.आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434

जीवन चक्र LIFE CYCLE

साथियों जीवन में सुख दुःख एक चक्र की तरह आते जाते रहते है.हमें कभी भी कठिन परिस्तिथियों में घबरा कर हार नहीं माननी चाहिये.ऐसा कौन है.जिसके जीवन में दुःख नहीं आता. गौतम बुध के समय की कहानी है.एक मiहिला गौतम बुध के पास आयी और कहने लगी उसके पुत्र का निधन हो गया है.कृपया करके उसे जीवन प्रदान करे.तब गौतम बुध ने उसे किसी एक घर से मुठी भर चावल लेन को कहा जिसके घर में मृत्यु नहीं हुई हो. वह ऐसा नहीं कर सकी. कहने का मतलब यह है की सभी  के जीवन में दुःख आते है.हमें उन्हें एक चुनोती के रूप में लेना चाहिये.बच्चे एवं महिलाये तनाव का शिकार जल्दी हो जाते है.आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते है. दुख के बाद सुख जरुर आता है.हमें धैर्य पूर्वक अच्छे समय की प्रतीक्षा करनी चाहिये.तूफ़ान में भी दीपक के  सामान आशा की लो जलाये रखनी चाहिये.रोते रोते हसना सीखो हसते रोना.बहुत गंभीर बाते हो गई  अगले ब्लॉग में हलाकि फुलकी चर्चा करेंगे आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434

जिंदगी का सफ़र

जिंदगी के   सफ़र में गुजर जाते है. जो मुकाम वो फिर नहीं आते दोस्तों हमें अपने वर्तमान को बेहतर से बेहतर ढंग से जीने की कोशिश करनी  चाहिए. यदि हम वर्तमान को बेहतर ढंग  से नहीं  जी सकते तो हमारा भविष्य भी अच्छा नहीं हो सकता है. हमारे अभी के रोल के अनुसार चाहे हमारा रोल स्टुडेंट का हो कर्मचारी का हो या व्यापारी का हो. हमें हमारा रोल बहुत कुशलता के साथ निभाना चाहिए.   घर से   मंदिर है बहुत दूर न जाया   जाये ,चलो किसी रोते हुए बच्चे को हसाया  जाये.जीवन को एक बहते हुए झरने की   तरह चलने देना  चाहिए.सरलता ही जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए. जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह और शाम .अच्छी किताबे हमें जीने की राह दिखाती है उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिये.आपके कमेंट्स के इंतजार  में आपका मित्र राजेश भारद्वाज 09413247434