अँधेरे में जो बैठे है:
मित्रों सर्वप्रथम आप सभी को राजेश भारद्वाज का स्नेह भरा नमस्कार!
आज हमारे देश के शीर्ष उद्योगपति श्री रतन टाटा ने अम्बानी की बहुचर्चित महलनुमा बिल्डिंग की और इशारा करते हुए कहा है कि आमिर और संपन्न लोगो को अपने आस पास रह रहे अन्य लोगो के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ अवश्य करना चाहिए.उनका यह विचार स्वागत योग्य है.
प्रश्न यह है कि कैसे हम लोगो का जीवन बेहतर बना सकते है? क्या केवल दान दे कर हम अपने कर्तव्य से मुक्त हो जाते है.दान केवल उन्ही लोगो को दिया जाना चाहिए जो किसी भी प्रकार का कार्य करने में अक्षम है.
शेष लोगो को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध करा के हम लोगो के जीवन को बेहतर बना सकते है.
कभी अंबानी अपनी पत्नी को करोड़ो का प्लेन उपहार में देते है कभी भव्य बहुमंजिला ईमारत बनवाकर अपने सम्पन्नता का बखान करते है.उनकी इसी बात पर शेर याद आ रहा है :
एक शहंशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल!
हम गरीबो कि मोहब्बत का
उड़ाया है मजाक !!
ब्लॉग का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष पर टिपण्णी करना नहीं है.श्री रतन टाटा कि बात ध्यान देने योग्य एवम विचार सराहनीय है.ब्लॉग के माध्यम से मई भी सभी संपन्न और सक्षम लोगो से विनम्र विनती है कि सभी लोगो का जीवन बेहतर हो एसा प्रयास करे.क्योकि कोशिशे अक्सर कामयाब हो जाती है: फिर एक फ़िल्मी गाने कि लेने याद आ रही है :
अँधेरे में जो बैठे है,नजर उन पर भी एक डालो,
अरे ओ रोशनी वालो!!
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