वर्षा ऋतू का स्वागत,
बरसात की आती हवा,
ये खेलती है डाल से,
ऊचे शिखर के भाल से,
आकाश से पाताल से,
मदमस्त मदमाती हवा,
बरसात की आती हवा!
मित्रो आप सभी को राजेश भरद्वाज का स्नेह भरा नमस्कार !
वर्षा ऋतू ने दस्तक दे दी है.वर्षा ऋतू के आने पर सुखी टहनियों में भी कोंपले फूटने लगती है.कहने का मतलब ये है की संवेदनहीन व्यक्ति का मन भी कुछ गुनगनाने लगता है.तो आपके मेरे जैसे साहित्यिक प्रवृति के लोगो का तो कहना ही क्या!
कही मन में येसुदास जी का गीत गूँज रहा होता है :
तुम्हे गीतों में DHALOONGA सावन को आने दो.
तो कभी मन करता है की घर से निकल कर आस पास के प्राक्रतिक स्थानों की सैर को निकल पड़े.और तेज वर्षा हो रही हो तो घर पर ही चाय काफी की चुस्कियो के साथ गरमा गरम भजिओ/पकोडियो का आनंद लिया जाये.
कहने का मतलब ये है की वर्ष ऋतू सभी के लिए खुशियों का सन्देश लेकर आती है.खासकर किसान भाइयो के लिए.
शहर में लोग पिकनिक मानाने के लिए निकल पड़ते है.सभी वर्षा ऋतू का भरपूर आनंद लेना चाहते है हम इससे वंचित क्यों रहे -आप घूमिये पिकनिक मनाइए बारिश का आनंद लीजिये.सावन के गीत गुनगुनाइए:
शेष अगले ब्लॉग में आपका मित्र राजेश भारद्वाज
No comments:
Post a Comment