माँ : तीन दृश्य
दृश्य एक :
राम और श्याम माँ के लाडले है,ढाई तीन वर्ष के बच्चे है दिन भर माँ - माँ करते घर के आँगन में किलकारी भरते है.माँ भी दोनों को बहुत दुलार करती है.दोनों को बढ़िया बढ़िया खाने के लिए कुछ न कुछ देती रहती है.राम कहता है माँ मेरी है - श्याम कहता है माँ मेरी है.माँ हंस के कहती है मै दोनों की हूँ.
दृश्य एक :
राम और श्याम माँ के लाडले है,ढाई तीन वर्ष के बच्चे है दिन भर माँ - माँ करते घर के आँगन में किलकारी भरते है.माँ भी दोनों को बहुत दुलार करती है.दोनों को बढ़िया बढ़िया खाने के लिए कुछ न कुछ देती रहती है.राम कहता है माँ मेरी है - श्याम कहता है माँ मेरी है.माँ हंस के कहती है मै दोनों की हूँ.
दृश्य दो :
राम और श्याम दोनों का ब्याह हो चुका है,माँ की अंटी में कुछ गहने है कुछ लाख रुपये की जमा पूंजी भी है.दोनों बेटो की बहुए कहती है हम माँ की सेवा करना चाहती है,हम माँ को अपने पास रख कर माँ की सेवा करेंगी.राम और श्याम को दोनों की पत्नियों ने समझाया- माँ से कहिये वे कितने दिनों की मेहमान है ? गहने व रुपये दोनों बेटो में बराबर बराबर बाँट दे.माँ की सेवा तो हो रही है.आखिरकार माँ ने दोनों बेटो में अपनी जमा पूंजी बाँट दी.
दृश्य तीन :
एक दिन बड़ी बहु ने कहा -माँ को रखना केवल हमारी जिम्मेदारी ही नहीं है,छोटे बेटे का भी कोई माँ के प्रति फ़र्ज़ है.बड़े भाई ने एक दिन छोटे से कहा भाई छः महीने माँ मेरे पास रहेगी छः महीने तेरे पास रहेगी.माँ सुनती रही बेटो ने उसका बटवारा कर दिया.
एक दिन छोटी बहु अपनी माँ से फोन पर कह रही थी - माँ बुढ़िया मरती पता नहीं कब तक डोकरी की सेवा करनी पड़ेगी.माँ का मन खट्टा हो गया.बैग लेकर बड़े के यहाँ चल दी.दरवाजे पर ही बड़ी बहु मिल गयी माँ को देखते ही तनक गयी: माँ जी अभी तो छोटे भैया के चार महीने आपको रखने के बाकि है आप अभी से कैसे आ गई? बड़ा बेटा भी वाही खड़ा था माँ ने प्रश्न वाचक निगाहों से बेटे की और देखा.माँ बेटे के भाव समझ गयी.
सामने ही वृधाश्रम का बोर्ड था माँ उसी और चल पड़ी