Thursday, June 30, 2011

माँ : तीन दृश्य

माँ : तीन दृश्य

दृश्य एक : 
                 राम और श्याम माँ के लाडले है,ढाई तीन वर्ष के  बच्चे है दिन भर माँ - माँ करते घर के आँगन में  किलकारी भरते है.माँ भी दोनों को बहुत दुलार करती है.दोनों को  बढ़िया बढ़िया खाने  के लिए  कुछ न कुछ देती रहती है.राम कहता है माँ मेरी है - श्याम कहता है माँ मेरी है.माँ हंस के कहती है मै दोनों की हूँ.

दृश्य दो :

              राम और श्याम दोनों का ब्याह हो चुका है,माँ की अंटी में कुछ गहने है कुछ लाख रुपये की जमा पूंजी भी है.दोनों बेटो की बहुए कहती है हम माँ की सेवा करना चाहती है,हम माँ को अपने पास  रख कर माँ की सेवा करेंगी.राम और श्याम को दोनों की पत्नियों ने समझाया- माँ से कहिये वे कितने दिनों की  मेहमान है ? गहने व रुपये दोनों बेटो में बराबर बराबर बाँट दे.माँ की सेवा तो हो रही है.आखिरकार माँ ने दोनों बेटो में अपनी जमा पूंजी बाँट दी.

दृश्य तीन :

           एक दिन बड़ी बहु ने कहा -माँ को रखना केवल हमारी जिम्मेदारी ही नहीं है,छोटे बेटे का भी कोई माँ के प्रति फ़र्ज़ है.बड़े भाई ने एक दिन छोटे से कहा भाई छः महीने माँ मेरे पास रहेगी छः महीने तेरे पास रहेगी.माँ सुनती रही बेटो ने उसका बटवारा कर दिया.

          एक दिन छोटी बहु अपनी माँ से फोन पर कह रही थी - माँ बुढ़िया मरती पता  नहीं कब तक डोकरी की सेवा करनी पड़ेगी.माँ का मन खट्टा हो गया.बैग लेकर बड़े के यहाँ चल दी.दरवाजे पर ही बड़ी बहु मिल गयी माँ को देखते ही तनक गयी: माँ जी अभी तो छोटे भैया के चार महीने आपको रखने के बाकि है आप अभी से कैसे आ गई? बड़ा बेटा भी वाही खड़ा था माँ ने प्रश्न वाचक निगाहों से बेटे की और देखा.माँ बेटे के भाव समझ गयी.

        सामने ही वृधाश्रम का बोर्ड था माँ उसी और चल पड़ी

Sunday, June 26, 2011

वर्षा ऋतू का स्वागत

वर्षा ऋतू का स्वागत,
   
                                  बरसात की आती हवा,
                                  ये खेलती है डाल से,
                                  ऊचे शिखर  के भाल से,
                                  आकाश से पाताल से,
                                  मदमस्त मदमाती हवा,
                                  बरसात की आती हवा!

                                  मित्रो आप सभी को राजेश भरद्वाज का स्नेह भरा नमस्कार !
                                  वर्षा ऋतू ने दस्तक दे दी है.वर्षा ऋतू के आने पर सुखी टहनियों में भी कोंपले फूटने लगती है.कहने का मतलब ये है की संवेदनहीन व्यक्ति का मन भी कुछ गुनगनाने लगता है.तो आपके मेरे जैसे साहित्यिक प्रवृति के लोगो का तो कहना ही क्या!
                                 कही मन में येसुदास जी का गीत गूँज रहा होता है :
                                 तुम्हे गीतों में DHALOONGA  सावन को आने दो.

                                तो कभी मन करता है की घर से निकल कर आस पास के प्राक्रतिक स्थानों की सैर को निकल पड़े.और तेज वर्षा हो रही हो तो घर पर ही चाय काफी की चुस्कियो के साथ गरमा गरम भजिओ/पकोडियो का आनंद लिया जाये.
                      
                              कहने का मतलब ये है की वर्ष ऋतू सभी के लिए खुशियों का सन्देश लेकर आती है.खासकर किसान भाइयो के लिए.
                              शहर में लोग पिकनिक मानाने के लिए निकल पड़ते है.सभी वर्षा ऋतू का भरपूर आनंद लेना चाहते है हम इससे वंचित क्यों रहे -आप घूमिये पिकनिक मनाइए बारिश का आनंद लीजिये.सावन के गीत गुनगुनाइए:
                 
                              शेष अगले ब्लॉग में आपका मित्र राजेश भारद्वाज

Thursday, June 2, 2011

सत्याग्रह बाबा रामदेव

सत्याग्रह बाबा रामदेव
                                    सर्वप्रथम मित्रो को राजेश भारद्वाज का स्नेह भरा नमस्कार !
                                    मित्रो बाबा  रामदेव  4 जून से से सत्याग्रह करने जा रहे है.देश की आम जनता उनके साथ तन और मन से है.बाबा रामदेव  के हृदय में जो सच्चाई की चिंगारी है,उसे आम जन पहचान गया है.भारत की आम जनता जन गयी है की कोई उनका आज के समय में मसीहा है तो वो बाबा  रामदेव ही है.

                                    मीडिया भी रामदेव के आन्दोलन में उनका पूरा साथ दे रहा है.मीडिया की भूमिका भी प्रसंशनीय  है.इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया का स्टाफ बधाई का पात्र है.बाबा रामदेव की मांगे जायज है.परन्तु सत्ता के लोग उन्हें आसानी से मन लेंगे इसमें संदेह है. सत्ता को कुछ लोग अपनी जागीर मान कर चल रहे है.उन्हें अपना आसन डोलता दीख रहा है.

                                 बाबा रामदेव  अनशन   पर  बैठेंगे  और आम जनता का उन्हें भरपूर समर्थन मिलेगा इसमें संदेह नहीं है. बाबा रामदेव के साथ हमें भी अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए  !