पोस्टमार्टम:
डा.साहब एक लड़के की लावारिस लाश पुलिस वाले पोस्टमार्टम के लिए लाये है!
अरे यार ये पुलिस वाले फ़ोकट के काम ले आते है,डा.साहेब बोले- इसका कोई सगा सम्बन्धी होता तो उससे कुछ नोट झटक लेता.एसा कर तू चाय माँगा थोड़ी देर बाद देखेंगे.सरकारी अस्पताल में फ़ोकट में कम तो करना पड़ेगा.
डा.शाह की सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम करने की ड्यूटी है,चाहे कितने ही गरीब लोग हो डा.साहेब किसी भी लाश का फ्री में पोस्टमार्टम नहीं करते है.वो सोचते हे आखिर उनके भी बाल बच्चे है,और डाक्टर भी तो पैसा लेकर ही तो सब का इलाज करते है,अगर वो पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत लेते है तो इसमें क्या बुरा है?
तभी डा.के सहायक की आवाज आई-सर इसका पोस्टमार्टम कर दो अब घर भी जाना है.अरे यार क्या करू फ्री में काम करने का मूड ही नहीं करता,डा.साहेब बोले.चलो अब कम तो करना ही पड़ेगा.डा.साहेब पोस्टमार्टम के ओजार ले कर तैयार हुए.तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी-उनकी श्रीमती का फोन था उनका बेटा मोटरसाइकल से आज घर आ रहा था.टाइम से घर पंहुचा नहीं इसीलिए उनकी श्रीमती डा.साहेब को फोन कर रही थी.
डा.साहेब ने फोन सुनते सुनते हुए लाश के ऊपर से कफ़न हटाया,देखा तो काटो तो खून नहीं,ये उनके लाडले की लाश थी,जिसके पोस्टमार्टम के लिए वो बहुत देर से आना कानी कर रहे थे.डा.साहेब को जोर दर दिल कर दोरा पड़ा वो वही पर ढेर हो गए.
अब डा.साहेब का पोस्टमार्टम कोन करेगा?पास में खड़ा उनका सहायक सोच रहा था.
डा.साहब एक लड़के की लावारिस लाश पुलिस वाले पोस्टमार्टम के लिए लाये है!
अरे यार ये पुलिस वाले फ़ोकट के काम ले आते है,डा.साहेब बोले- इसका कोई सगा सम्बन्धी होता तो उससे कुछ नोट झटक लेता.एसा कर तू चाय माँगा थोड़ी देर बाद देखेंगे.सरकारी अस्पताल में फ़ोकट में कम तो करना पड़ेगा.
डा.शाह की सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम करने की ड्यूटी है,चाहे कितने ही गरीब लोग हो डा.साहेब किसी भी लाश का फ्री में पोस्टमार्टम नहीं करते है.वो सोचते हे आखिर उनके भी बाल बच्चे है,और डाक्टर भी तो पैसा लेकर ही तो सब का इलाज करते है,अगर वो पोस्टमार्टम के लिए रिश्वत लेते है तो इसमें क्या बुरा है?
तभी डा.के सहायक की आवाज आई-सर इसका पोस्टमार्टम कर दो अब घर भी जाना है.अरे यार क्या करू फ्री में काम करने का मूड ही नहीं करता,डा.साहेब बोले.चलो अब कम तो करना ही पड़ेगा.डा.साहेब पोस्टमार्टम के ओजार ले कर तैयार हुए.तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी-उनकी श्रीमती का फोन था उनका बेटा मोटरसाइकल से आज घर आ रहा था.टाइम से घर पंहुचा नहीं इसीलिए उनकी श्रीमती डा.साहेब को फोन कर रही थी.
डा.साहेब ने फोन सुनते सुनते हुए लाश के ऊपर से कफ़न हटाया,देखा तो काटो तो खून नहीं,ये उनके लाडले की लाश थी,जिसके पोस्टमार्टम के लिए वो बहुत देर से आना कानी कर रहे थे.डा.साहेब को जोर दर दिल कर दोरा पड़ा वो वही पर ढेर हो गए.
अब डा.साहेब का पोस्टमार्टम कोन करेगा?पास में खड़ा उनका सहायक सोच रहा था.